सब कुछ है बस सुकून नही है यही कहते हैं न आप भी जब तब और फ़िर डिप्रेशन की तरफ़ आपके कदम ख़ुद -बख़ुद बढ़ने लगते हैं पर अपने दिल के अन्दर झाँककर देखिये , आपका सुकून चिंताओं की गर्द से लिपटा कोने में कहीं अनमनाया हुआ सा पड़ा है इस गर्द को हटाओ और देखो कैसे सुकून की हर बूँद तुम्हारे हिस्से में कितनी खुशियाँ भर देगी अब सवाल ये है कि चिंताओं को अलविदा कैसे करें ? भाई हर काम को बोझ मानकर और जिंदगी को 'काटने' भर के लिए जब तक जीते रहोगे तब तक तो चिंताएं मंडराती ही रहेंगी हर काम में रस है , उस रस को तलाशो , हर पल में जिंदगी है उसे जियो , हर इंसान में कुछ अच्छाई है उसे अपनाओ , फ़िर सारी मुश्किलें आसान हो जायेंगी
आओ थोड़ा हंस लें ,,,,,,,,,,,,,,,
एक बार एक शहजादा घूमता हुआ छोटे से कस्बे में पहुँचा तभी सामने से आता हुआ गाँव का एक पंडित दिखायी दिया जिसकी शक्ल शहजादे से हूबहू मिल रही थी उसे छेड़ने के अंदाज से शहजादे ने पूछा -
" क्यूँ मियां , क्या तुम्हारी माँ हमारे महलों में काम करती थी पहले कभी ?"
पंडित बोला - " नही - नही श्रीमान , पर मेरे पिता अवश्य बहुत वर्षों तक शाही हरम में पहरेदार रह चुके हैं "