
जीवन - सार
- जिंदगी में हर शख्स को कभी न कभी हार का सामना करना पड़ता है इस हार के पीछे कहीं न कहीं उसकी ख़ुद की गलतियाँ जिम्मेदार होती हैं लेकिन हम अपनी गलतियाँ मानने के बजाय इस नाकामयाबी की वजह दूसरों को ठहराने से पीछे नही हटते जरा सोचो तो आख़िर हम कब तक अपनी असफलता के लिए दूसरों को जिम्मेदार बताते रहेंगे ? अपनी गलतियों से सीखना हम सभी को आना चाहिए क्योंकि यही हमारी शिक्षक हैं - दूसरों को अपनी नाकामयाबी के लिए जिम्मेदार मानने वाले कमजोर होते हैं जिस तरह तुम अपनी जीत का सेहरा ख़ुद के सिर बांधना चाहते हो , उसी तरह हार को भी तुम्हे ही अपनाना होगा - अपनी गलतियाँ स्वीकार करो और उन्हें सुधारने की कोशिश करो ऐसा करने से तुम अपने भीतर आत्म विश्वास महसूस करोगे देखना तुम्हारा यही गुण एक दिन तुम्हे आगे ले जायेगा
आओ थोड़ा हंस लें ,,,,,,,,,,,,,,,
मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी अपने मायके गई बार - बार नसरुद्दीन को पत्र लिखती कि कुछ दिनों के लिए आप भी बनारस आ जाएँ लेकिन मुल्ला नसरुद्दीन पूना छोड़ता नही आखिरकार उनकी श्रीमती ने पत्र के साथ एक फोटो भी भेजा, जिसमे एक पार्क के बेंच पर एक जोड़ा बैठा हुआ है - पति-पत्नी एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए, एक दूसरे की आंखों में आँखें डाले हुए और पास के ही एक बेंच पर उनकी श्रीमती जी अकेली बैठी हैं - चिंतित, उदास अवस्था में, खोयी-खोयी सी साथ में पत्र में लिखा था : " देखो तुम्हारे बिना मै कितनी अकेली हो गई हूँ " मुल्ला ने फोटो को देखा और गुस्से से भर कर तार किया : "यह सब तो ठीक है, पर यह बताओ कि यह फोटो खींची किसने है ?"
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