Wednesday, October 1, 2008

मंजिल की ऑर बढ़ने से पहले


जीवन - सार

जिंदगी में रास्ते चुनने से पहले ये देखना भी जरूरी है कि जो रास्ता तुमने चुना है वह तुम्हारी मंजिल तक जाता भी है या नही कई बार एक सीधा रास्ता नजर ही नही आता ऐसे में जरूरी यह नही है कि जो रास्ता तुम चुनो वह जल्दी तुम्हारी मंजिल तक जाता हो पर जरूरी यह है कि उसकी दिशा वही होनी चाहिए जो तुम्हारी मंजिल की है अगर तुम्हारे रास्ते की दिशा सही है तो कुछ पड़ावों के बाद ही सही , पर तुम अपनी मंजिल तक पहुंचोगे जरूर रास्ता थोड़ा लंबा है और ऐसा लगता है कि तुम्हारी हर उम्मीद पूरी नही हो रही है तो इसमे निराश होने जैसी क्या बात है ? आज एक उम्मीद पूरी हुयी है तो उसे सफलता की एक सीढी मानो और पूरे जोश के साथ बाकी उम्मीदों को भी पूरा करने के लिए आगे बढ़ जाओ
आओ थोड़ा हंस लें ,,,,,,,,,,
रात का समय , मुल्ला नसरुद्दीन अपनी कार से गुजर रहा था रास्ते में एक गाँव पड़ा गाँव के
किनारे की ओर सड़क पर पत्थरों का एक बड़ा ढेर लगा हुआ था और उस ढेर पर एक जलती हुयी लालटेन रखी हुयी थी मुल्ला ने देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ वह बड़ी देर तक वहां रुका रहा आखिरकार गाँव का एक किसान जब उधर से निकला तो मुल्ला ने उसे बुलाया और पूछा -
" क्यूँ भैया, यह क्या मामला है ? यह लालटेन इस ढेर के ऊपर क्यूँ रख छोड़ी है ?"
वह व्यक्ति बोला, " अरे बड़े मियां, तुम्हे इतना भी नही मालूम ? अरे ये इसलिए रखी है ताकि आने जाने वाले लोगों को यह पत्थर का ढेर दिखता रहे "
मुल्ला बोला, " अच्छा यह बात है लेकिन ये तो बताओ की यह पत्थरों का ढेर यहाँ क्यूँ लगा रखा है ?"
उस व्यक्ति ने बड़ी हिकारत से कहा, " बड़े मियां, हम तो सुनते थे की शहर के लोग बड़े ही बुद्धिमान होते हैं, मगर तुम तो बड़ी ही मूर्खता की बातें कर रहे हो, अरे जब पत्थरों का ढेर नही लगायेंगे तो लालटेन किस चीज पर रखेंगे ? लालटेन को रखने के लिए ही पत्थरों का ढेर लगाया गया है "

1 comment:

Anonymous said...

वैरी गुड
बहुत अच्छा लिखा है आपने
मैं बहुत प्रभावित हुआ