Saturday, October 4, 2008

तुम एक सुनाओ मै दस सुनूंगा


जीवन - सार

अगला अकड़े जा रहा है जली कटी सुनाये जा रहा है तो क्या हुआ ? अब सवाल आता है की तुमने इन परिस्थितियों को कैसे संभाला ? अगर तुमने वैसा ही जवाब दिया तो तुम अपना नुक्सान कर बैठोगे पर अगर शान्ति से सुनकर सही वक्त का इन्तजार किया तो मुनाफे में रहोगे किसी की कड़वी बातों पर नमक छिड़कना है तो कोई जवाब न देना ही बेहतर है क्योंकि जिस वक्त हम किसी की बातों को अनसुनी करते हैं तो उसे नाकामयाबी महसूस होती है सुनने वाला हमेशा समझदार होता है फ़िर वो चाहे आलोचना ही क्यूँ न हो

आओ थोड़ा हंस लें
मुल्ला नसरुद्दीन एक महिला को प्रेम करता था उस महिला ने कहा की ऐसा करो , मेरे पति को पता न चले , मै दूसरी मंजिल पर रहती हूँ , रस्सी लटका दूँगी और ऊपर से अठन्नी गिरा दूँगी खन्न से आवाज़ होगी , तुम समझ जाना इशारा है कि बस अब रस्सी पर चढ़ जाना है अर्थात पतिदेव सो गए हैं और खर्राटे ले रहे हैं मुल्ला ने कहा , "ठीक "पूर्णिमा की रात , मुल्ला खड़ा हो गया खिड़की के नीचे आधी रात रस्सी लटकी , अठन्नी गिरी , खन्न से आवाज़ हुयी मुल्ला की प्रेमिका राह देखते - देखते थक गई जब दो घंटे हो गए तो उसने नीचे झाँककर कहा - " नसरुद्दीन क्या अठन्नी की आवाज़ सुनाई नही पड़ी ?" नसरुद्दीन ने कहा , " सुनाई पड़ी , उसी को तो खोज रहा हूँ मिल जाए तो ऊपर आऊं "

8 comments:

अभिषेक मिश्र said...

Sare posts dekhe. Acha pryas.Dhanyawad aur swagat blog parivar aur mere blog par bhi.

एस. बी. सिंह said...

blogjagat men swaagat. sundar post ke lie dhanyavaad.

प्रदीप मानोरिया said...

हिन्दी चिठ्ठा जगत में आपका बहुत स्वागत है निरंतरता की चाहत है
मेरा आमंत्रण स्वीकारें समय निकाल कर मेरे चिट्ठे पर भी पधारें
वैसे मुझे ओशो में कोई रुची नहीं

Urmi said...

मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! आपने बहुत ही सुंदर लिखा है! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!

vijay kumar sappatti said...

sir ,

namaskar

aajkal main osho ki kitaab , samaadhi ke sapt dwaar padh raha hoon ... aapka blog mujhe bahut aaacha laga .
dhanywad

aapko meri dil se badhai ..

meri nayi kavita padhkar apna pyar aur aashirwad deve...to khushi hongi....

vijay
www.poemsofvijay.blogspot.com

Science Bloggers Association said...

इस प्रेरणाप्रद आलेख के लिए आभार।

कृपया इसे समय समय पर अपडेट करते रहें।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

हरकीरत ' हीर' said...

प्रकाश गोविन्द जी के ब्लॉग पे आपका जोरदार घंटी बजाने वाला कमेन्ट पढ़ा दाद देने चली आई .....आपने ने उसी विषये पर उपदेश भी दे दिया .....बहुत खूब .....स्वागत .....!!

देवेन्द्र पाण्डेय said...

वाह! आपका ब्लाग तो अच्छा है। आपके ब्लाग से ओशो दर्शन पढ़ने को मिलेगा।
---सच है हम अठन्नी बीनने में लगे रहते हैं और प्रेम की एक बूंद भी नसीब नहीं होती।